हिंदी सिनेमा की ट्रेजिडी क्वीन मीना कुमारी का 1 अगस्त को जन्मदिन है। जब तक जिंदा रही संघर्ष करती रहीं।जब जन्म लिया तो पिता अनाथलाय छोड़ आए। बेटा चाहते थे, हो गई बेटी। जब देखा मीना का रो-रोकर बुरा हाल है, तब जाकर घर लाए। मीना कुमारी के जीवन की दर्दभरी और चटकारे लेकर सुनने वाली ढेरों कहानियां हैं, लेकिन यह उनका हुनर ही था, जिसकी बदौलत वह आज भी सराही जाती हैं, याद की जाती हैं। उनकी फिल्में, गाने, कविताएं, शेर, गजल, आप जैसे चाहें मीना कुमारी को याद कर सकते हैं।
मीना कुमारी और कमाल अमरोही ने एक-दूसरे के साथ प्रेम किया. एक-दूसरे को चाहा और शादी भी कर ली. लेकिन फिल्मी दुनिया की यह कमाल की हसीन जोड़ी, एक साथ सुखी जीवन न बिता सकी। दोनों के प्रेम के बीच फूट पड़ने का किस्सा कुछ यूं था कि वर्ष 1955 में फिल्म परिणीता के लिए मीना कुमारी को फिल्मफेयर का पुरस्कार मिलना था। कमाल अमरोही और मीना कुमारी एक ही साथ दर्शक दीर्घा में बैठे थे। मीना कुमारी स्टेज पर अवार्ड लेने गईं तो अपना पर्स कुर्सी पर ही भूल गईं। स्टेज से उतरकर वह सीधा अपने घर चली गईं। बाद में अभिनेत्री निम्मी ने वह पर्स मीना कुमारी को जाकर दिया। मीना ने इस पर कमाल से पूछा कि आपको मेरा पर्स नजर नहीं आया? यह सुनकर कमाल अमरोही बोले- मैंने पर्स देखा था, पर उठाया नहीं। क्योंकि आज मैं तुम्हारा पर्स उठाता, कल जूते। कहते हैं इसी प्रकरण के बाद दोनों के रिश्तों में खटास आने लगी।
कमाल अमरोही के तलाक देने के बाद मीना कुमारी का जीवन एक तरह से बेपटरी हो गया था। हालांकि इसके बावजूद वह फिल्में करती रहीं, लेकिन लोग बताते हैं कि पति से अलग होने के बाद उनके जीवन में फिर वह रौनक कभी नहीं आ सकी, जिसके ख्वाब मीना कुमारी ने सजाए थे। मीना कुमारी को शेर-ओ-शायरी करना, गजलें लिखने का शौक था। कमाल से तलाक के बाद वो अक्सर गजलें लिखा करती थीं। 1964 में जब कमाल अमरोही ने उन्हें तलाक दिया, तो मीना ने लिखा, तलाक तो दे रहे हो नजर-ए-कहर के साथ, जवानी भी मेरी लौटा दो मेरे मेहर के साथ। ‘