साल 2007 में आई फिल्म भूल भुलैया का सीक्लव अभी तक ओटीटी पर देखा जा रहा है. भूल भुलैया की तरह ही सीक्वल ने भी काफी तारीफें बटोरी. लेकिन भूल भुलैया बनाते वक्त जो भी लोग इसकी शूटिंग के दौरान मौजूद थे, उस दौरान कई लोगों ने कहा कि जहां यह शूटिंग हुई, वहां के अनुभव हमेशा याद रहेंगे. यह फिल्म एक सुपरनेचुरल थीम पर आधारित थी, उस समय की खबरें बताती हैं कि फिल्म की यूनिट में कई लोगों ने शूटिंग करते हुए पर अक्सर कुछ अजीब बातें महसूस की थीं.
चलती थी हवा, आती थीं आवाजेंभूल भुलैया प्रियदर्शन की मलयालम फिल्म मणिचित्रथाजु का हिंदी में रीमेक थी. उन्होंने जब हिंदी में बनाने की सोची तो फिल्म का बड़ा हिस्सा जयपुर के नजदीक के चोमू पैलेस में शूट करना तय किया. महलों को लेकर अक्सर लोकल किस्से-कहानियां होते हैं. शूटिंग की यूनिट को इस महल के बारे में ऐसी बातें कहने-सुनने में आ गईं. फिर इसकी शूटिंग के दौरान लोगों ने अपने अनुभव भी बना लिए. शूटिंग से जुड़े लोगों ने उस समय कहा कि यूं तो महल में पूरी तरह से शांति रहती थी. लेकिन जब शूटिंग के बाद सब लोग चले जाते और सिर्फ पेकिंग का काम बचता तो वहां मौजूद लोगों को अपने अलावा भी किसी के होने का अहसास होता. शुरू में उन्हें लगा कि तेज चलने वाली हवा और उससे पैदा होने वाली आवाजों के कारण ऐसा महसूस हो रहा होगा लेकिन धीरे धीरे उन्हें लगने लगा कि सचमुच ही कोई उनके आसपास है.
प्रियदर्शन ने कहा मैं नहीं मानतास्थानीय लोगों ने भी फिल्म की यूनिट को पैलेस के कई किस्से सुनाए. किसी ने यह भी बताया कि एक युद्ध के दौरान उस पैलेस के राजा का सिर दुश्मनों ने धड़ से अलग कर दिया था. उनका कहना था कि कई लोगों ने कई बार ऐसे बिना सिर वाले आदमी को महल में घूमते देखा है. फिल्म की शूटिंग चोमू पैलेस में लगभग 25 दिन चली और फिल्म की यूनिट ने उस पैलेस के कई किस्से सुने और खुद भी महसूस किए. खैर, जैसे तैसे शूटिंग पूरी हुई. प्रियदर्शन से जब इस बारे में सवाल किए गए तो उन्होंने साफ कहा कि मैं इन सब बातों को नहीं मानता. एंटरटेनमेंट के लिए भुतहा फिल्में बनाना अलग बात है.